Thursday, February 20, 2020

गुरु जी का भेद खुल गया

हमारे महाकाल गुरु जी, 18 फरवरी से अमरकंटक में विद्यमान हैं, तथा लोगों की मदद कर रहे हैं, वे कभी अपने बारे में किसीको नही बताते, परंतु सत्य ही कहा गया है, सूर्य को छुपाया नही जा सकता, मात्र एक ही दिन में गुरु जी के नाम का डंका बज गया लोग उन्हें सड़क में रोक कर अपनी समस्याओं के  बारे में पूछ रहे हैं।
आज 20 फरवरी को सुबह 10.30 बजे लगभग
अमरकंटक नर्मदा मन्दिर में
वहीं भगवान शिव की सेवा कर रहे पंडित जी ने , गुरु जी के शिस्यों से कहा की ये जो आपके साथ हैं जिनके चेहरे पर इतना तेज है इतना सम्मोहन है
की मेरी इनसे मिलने की इक्षा हो रही, 
चूंकि सभी शिष्य इन बातों के आदि है
इसलिए वे मुस्कुराकर चल दिये
किन्तु पंडित जी के भाग्य में तो महाकाल के दर्शन लिखे थे,
पंडित जी स्वयं ही गुरु जी की चरण वंदना करने आये व उन्हें आसन देकर सम्मान पूर्वक बिठाया
महाकाल गुरु देव ने कहा कि हे ब्राह्मण हमे प्रभु का आदेश हुआ कि ये मेरा सेवक है और इसकी परेशानी का निवारण करो
अतः तुम मेरी ही प्रेरणा से मुझसे मिलने आये हो
तुम्हारी दादी का निधन हो गया है, जिसे तुम बहुत प्यार करते थे
उनका मोह त्याग कर उन्हें परम धाम भेजने का उपाय करो
व तुम्हारी पत्नी पर थोड़ा बाधा रही है, जिससे तुम्हारा शिशु जन्म के पूर्व खंडित हो गया,
इसके अतिरिक्त तुम्हारा वह घर जो पेड़ की छांव में डाउन शेड में बना है , थोड़ा बंधन में है।
ये सब सुनकर पंडित जी के होश उड़ गए और वह गुरु जी के सम्मुख दंडवत हो गया
फिर उसने अपने भविष्य का पूछा, गुरु जी ने कहा कर्मानुसार भविष्य का निर्धारण होता है, अकारण परमपिता ब्रह्मा जी के काम मे विघ्न मत डालो
और अगर हम किसीका भाग्य बदल सकते तो, हम भगवान न बन जाएंगे।
अतः कर्म करो , भविष्य की चिंता छोड़ो।
ब्राह्मण अत्यधिक प्रसन्न हुए।
और गुरु जी ने उसे कहा तुम ज्ञानी हो, मेहनत करो सफलता मिलेगी
क्रोध करना कम कर दो।
ईश्वर उन ब्राह्मण के दादी की आत्मा को शांति दें, पत्नी स्वस्थ रहे व अब शिशु स्वस्थ जन्म ले।
पंडित जी की फ़ोटो संलग्न है।

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