दिनांक 14 मार्च 2020 को शाम 5 बजे के लगभग गुरु देव अपने साधारण वेश में एक दुकान में चाय पी रहे थे,
वहीं कुछ तीर्थयात्री जो कि अहमदाबाद से थे, गुरुदेव के बगल से निकले व मजाकिया अंदाज में गुरु देव से बात की।
जो कि एक अनजान व्यक्ति को दूसरे अनजान व्यक्ति से करना शोभा नही देता, फिर उन्होंने गुरुदेव से पूछा कि कहां से हो जिसका उत्तर गुरु देव ने मुस्कुरा कर दिया
अब गुरु देव समझ गए थे कि ये लोग सायद मस्ती के मूड में हैं, इसलिए यहां रुकना सही नही क्योंकि उनका ब्यौहार गुरु देव को अच्छा नही लगा।
परंतु कुछ ही क्षणों में वहां और कुछ लोग आए जो गुरु देव व उनके प्रभाव से परिचित थे, वे लोग गुरु देव के समक्ष दंडवत हुए, और वहीं दुकान में खड़े खड़े गुरु देव ने उनके कई ऐसे प्रश्नों के उत्तर दिए जो कि एक सामान्य मनुष्य के लिए असंभव था।
यह सब दृश्य वे यात्री भी देख रहे थे और प्रभावित होकर अपनी मन के सारे संचारी भाव का त्याग कर गुरु देव की शरण मे आ गए और कहा कि हम आपसे कुछ पूछना चाहते हैं, गुरु देव ने कहा जरूर पूछें और यदि भगवान की प्रेरणा हुई तो हम उत्तर देने का पूर्ण प्रयास करेंगे।
वे गुरु देव से समय लेकर गुरु देव के पास दिए गए समय में और कुछ लोगों के साथ पधारे।
उन्होंने बारी बारी से अपनी बातें रखीं जिनका जवाब गुरु देव ने सटीक दिया
यात्रियों ने स्वीकार किया कि वे पूर्णतयः संतुष्ट हैं।
उनमे से एक यात्री जिनका नाम किरीत बोरा है, पर प्रेत बाधा भी निकली, गुरु देव ने उन्हें देखते ही कह दिया कि तुम्हारे साथ तुम्हारी माता जी की आत्मा है, वो तुम्हे परेशान नही करना चाहती हैं परंतु उनके होने की वजह से तुम व तुम्हारे बाद तुम्हारा परिवार सदैव परेशान रहेगा इसके अतिरिक्त ये चीजें साथ रहने वालों पर भी कभी कभी प्रभाव डालती हैं, इस पर कीरित ने कहा कि वह इसका उपाय करने का प्रयास करेगा।
कीरित को कुंडली व ज्योतिष का भी ज्ञान था, अतः उसने गुरु देव से कहा कि मैं भी आपकी तरह लोगों की समस्या सुलझाता हूँ।
तब महाकाल गुरु देव बोले कि हमने तो घर के नक्से भी बता दिए तुम्हारी माता का रूप रंग बता दिया, लड़के के बारे में जो कि यहां है ही नही सब बता दिया।
न तुमसे नाम पूछा न जन्म तिथी, क्या तुम बता सकते हो इस प्रकार।
कीरित ने कहा नही, फिर गुरु देव ने कहा व्यर्थ में बात न करें
हमारी बात माननी हो तो भी ठीक न माननी हो तो भी ठीक।
उस यात्री ने सारी बातें स्वीकार की।
ईश्वर उस यात्री की माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करें।
एक यात्री (जगदीश) थे जिन्हें गुरुदेव ने कहा तुम पर विष्णु कृपा है अतः ।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।। का जाप करो
उसने स्वीकार भी किया कि, हाँ मुझे राम जी के प्रति आकर्षण महसूस होता है।
उनमे एक यात्री थे जो बहुत ही अच्छे थे क्योंकि वो अपनी माता जी की ही पूजा करते हैं उन्ही को भगवान मानते हैं।
सबने आग्रह किया कि गुरदेव जब भी आप अहमदाबाद आएं तो हमे बताइयेगा, तब गुरु देव ने कहा अवश्य बताएंगे यदि आये तो।
वैसे जिनका काम या अनुष्ठान होता है वे ही सम्पूर्ण व्यवस्था के साथ बुलवाते हैं, हम अपनी स्वेक्षा से कहीं घूमने नही जाते, फिर भी यदि आये तो बताएंगे।
ईश्वर उन सभी की यात्रा सफल करें।
जय श्री महाकाल
सर्वे भवन्तु सुखिनः
साक्ष्य के लिए नीचे सबके नाम व फ़ोटो संलग्न हैं।
Jagdish bhai Ojha
Kirit bhai bora
Kanhaiya lal trivedi
Mangelal bora
Khimashankar vyas
वहीं कुछ तीर्थयात्री जो कि अहमदाबाद से थे, गुरुदेव के बगल से निकले व मजाकिया अंदाज में गुरु देव से बात की।
जो कि एक अनजान व्यक्ति को दूसरे अनजान व्यक्ति से करना शोभा नही देता, फिर उन्होंने गुरुदेव से पूछा कि कहां से हो जिसका उत्तर गुरु देव ने मुस्कुरा कर दिया
अब गुरु देव समझ गए थे कि ये लोग सायद मस्ती के मूड में हैं, इसलिए यहां रुकना सही नही क्योंकि उनका ब्यौहार गुरु देव को अच्छा नही लगा।
परंतु कुछ ही क्षणों में वहां और कुछ लोग आए जो गुरु देव व उनके प्रभाव से परिचित थे, वे लोग गुरु देव के समक्ष दंडवत हुए, और वहीं दुकान में खड़े खड़े गुरु देव ने उनके कई ऐसे प्रश्नों के उत्तर दिए जो कि एक सामान्य मनुष्य के लिए असंभव था।
यह सब दृश्य वे यात्री भी देख रहे थे और प्रभावित होकर अपनी मन के सारे संचारी भाव का त्याग कर गुरु देव की शरण मे आ गए और कहा कि हम आपसे कुछ पूछना चाहते हैं, गुरु देव ने कहा जरूर पूछें और यदि भगवान की प्रेरणा हुई तो हम उत्तर देने का पूर्ण प्रयास करेंगे।
वे गुरु देव से समय लेकर गुरु देव के पास दिए गए समय में और कुछ लोगों के साथ पधारे।
उन्होंने बारी बारी से अपनी बातें रखीं जिनका जवाब गुरु देव ने सटीक दिया
यात्रियों ने स्वीकार किया कि वे पूर्णतयः संतुष्ट हैं।
उनमे से एक यात्री जिनका नाम किरीत बोरा है, पर प्रेत बाधा भी निकली, गुरु देव ने उन्हें देखते ही कह दिया कि तुम्हारे साथ तुम्हारी माता जी की आत्मा है, वो तुम्हे परेशान नही करना चाहती हैं परंतु उनके होने की वजह से तुम व तुम्हारे बाद तुम्हारा परिवार सदैव परेशान रहेगा इसके अतिरिक्त ये चीजें साथ रहने वालों पर भी कभी कभी प्रभाव डालती हैं, इस पर कीरित ने कहा कि वह इसका उपाय करने का प्रयास करेगा।
कीरित को कुंडली व ज्योतिष का भी ज्ञान था, अतः उसने गुरु देव से कहा कि मैं भी आपकी तरह लोगों की समस्या सुलझाता हूँ।
तब महाकाल गुरु देव बोले कि हमने तो घर के नक्से भी बता दिए तुम्हारी माता का रूप रंग बता दिया, लड़के के बारे में जो कि यहां है ही नही सब बता दिया।
न तुमसे नाम पूछा न जन्म तिथी, क्या तुम बता सकते हो इस प्रकार।
कीरित ने कहा नही, फिर गुरु देव ने कहा व्यर्थ में बात न करें
हमारी बात माननी हो तो भी ठीक न माननी हो तो भी ठीक।
उस यात्री ने सारी बातें स्वीकार की।
ईश्वर उस यात्री की माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करें।
एक यात्री (जगदीश) थे जिन्हें गुरुदेव ने कहा तुम पर विष्णु कृपा है अतः ।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।। का जाप करो
उसने स्वीकार भी किया कि, हाँ मुझे राम जी के प्रति आकर्षण महसूस होता है।
उनमे एक यात्री थे जो बहुत ही अच्छे थे क्योंकि वो अपनी माता जी की ही पूजा करते हैं उन्ही को भगवान मानते हैं।
सबने आग्रह किया कि गुरदेव जब भी आप अहमदाबाद आएं तो हमे बताइयेगा, तब गुरु देव ने कहा अवश्य बताएंगे यदि आये तो।
वैसे जिनका काम या अनुष्ठान होता है वे ही सम्पूर्ण व्यवस्था के साथ बुलवाते हैं, हम अपनी स्वेक्षा से कहीं घूमने नही जाते, फिर भी यदि आये तो बताएंगे।
ईश्वर उन सभी की यात्रा सफल करें।
जय श्री महाकाल
सर्वे भवन्तु सुखिनः
साक्ष्य के लिए नीचे सबके नाम व फ़ोटो संलग्न हैं।
Jagdish bhai Ojha
Kirit bhai bora
Kanhaiya lal trivedi
Mangelal bora
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